उच्च शिक्षा और शोध संस्थान, हैदराबाद केंद्र में संपन्न शोधकार्य -
डी.लिट. शोधकार्य
v 1987 – आधुनिक हिंदी कविता : छंद प्रतिविधियाँ
v 1988 – हिंदी साहित्य में रूपक-कथा-काव्य
v 1991 – स्वातंत्र्योत्तर हिंदी काव्य चेतना
v 2013 – आदिवासी जीवन : भारतीय समाज और हिंदी साहित्य
पीएच.डी. शोधकार्य
v 1979 – हिंदी आलोचना और मनोविश्लेषण
v 1983 – श्री सोहनलाल द्विवेदी के काव्यों में अंतःस्यूत राष्ट्रीय भावना
v 1984 – समसामयिक प्रमुख हिंदी कवियों की काव्य भाषा का अध्ययन (साहित्याचार्य)
v 1985 – पारिभाषिक शब्दावली : समस्याएँ तथा समाधान
v 1985 – हिंदी और गुजराती संत साहित्य
v 1985 – अनुवाद के सिद्धांत, समस्याएँ एवं समाधान
v 1987 – प्रयुक्तिपरक अनुवाद : एक विश्लेषण
v 1987 – भगवतीचरण वर्मा के उपन्यासों में अंतःस्यूत जीवन मूल्य
v 1987 – डॉ.मिथिलेश कुमारी मिश्र का व्यक्तित्व और कृतित्व
v 1988 – आधुनिक हिंदी काव्य में आधुनिकता और परंपरा का द्वंद्व (1857-1920)
v 1988 – श्री सियारामशरण गुप्त के काव्यों में अभिव्यंजित राष्ट्रीय भावना
v 1988 – सूरसागर में गाय, गोपाल और गोपी : समाजशास्त्रीय अध्ययन
v 1989 – प्रशासनिक हिंदी प्रयोग और संभावनाएँ
v 1991 – स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कहानी में आधुनिकताबोध
v 1992 – शिवानी की साहित्य भाषा
v 1992 – दक्खिनी हिंदी का भाषावैज्ञानिक विश्लेषण
v 1993 – हैदराबाद जिले में पटकरी समुदाय का भाषा अनुरक्षण और विस्थापन
v 1993 – जनसंचार माध्यम में हिंदी समाचारों का भाषिक विश्लेषण
v 1994 – स्वातंत्र्योत्तर हिंदी उपन्यासों में मार्क्सवादी चेतना (1947-1980)
v 1994 – मोहन राकेश के उपन्यासों में मानवीय संबंध
v 1995 – सजातीय और विजातीय भाषाओं के बीच अनुवाद की समस्याएँ : ‘कामायनी’ के तेलुगु और अंग्रेज़ी अनुवाद के विशेष संदर्भ में
v 1996 – रेणु के ‘मैला आंचल’ तथा ‘परती परिकथा’ का भाषिक विश्लेषण
v 1997 – रामदरश मिश्र के उपन्यासों में सांस्कृतिक और मिथकीय संदर्भ
v 1998 – नई कविता का रचना विधान
v 1998 – भारतीय बहुभाषिकता के संदर्भ में गुंटूर में मारवाड़ी समुदाय का भाषा व्यवहार
v 1998 – समाज संदर्भित भाषा अध्ययन : विचार और अवधारणाएँ
v 1999 – यशपाल के उपन्यास और मार्क्सवाद : एक विवेचनात्मक अध्ययन
v 2000 – शिवप्रसाद सिंह की कहानियों में ग्राम जीवन और परिवेश
v 2000 – अन्य भाषा शिक्षण में साहित्य शिक्षण की प्रणालियाँ और पद्धतियाँ
v 2001 – सैद्धांतिक-अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान और हिंदी
v 2002 – हिंदी और तेलुगु के समाजभाषावैज्ञानिक पक्ष की तुलना
v 2002 – हिंदी विज्ञापन : भाषिक और शैलीगत विश्लेषण
v 2002 – स्त्री भाषा का सामाजिक संदर्भ और हिंदी उपन्यास
v 2002 – गांधी दर्शन के आलोक में आधुनिक हिंदी कविता का अनुशीलन
v 2003 – श्रीलाल शुक्ल के उपन्यासों का समाजशास्त्रीय अध्ययन
v 2004 – ‘पहला गिरमिटिया’ में राजनैतिक प्रयुक्ति का विश्लेषण
v 2004 – आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंध साहित्य का अध्ययन : वस्तु और विन्यास का संदर्भ
v 2004 – डॉ.विद्यानिवास मिश्र के ललित निबंध : संस्कृति और प्रकृति का अंतःसंबंध
v 2005 – चित्रा मुद्गल के उपन्यास ‘आवां’ का भाषिक अध्ययन
v 2005 – मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ : चेतना और शिल्प
v 2005 – गोविंद मिश्र के उपन्यासों में सामाजिक यथार्थ
v 2007 – प्रेमचंद के प्रमुख कथा साहित्य के अंग्रेजी अनुवाद की समीक्षा और मूल्याकंन
v 2007 – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के उपन्यासों में सांस्कृतिक चेतना
v 2007 – निर्मल वर्मा के उपन्यासों में आधुनिकताबोध
v 2007 – भीष्म साहनी के उपन्यासों का समाजशास्त्रीय अध्ययन
v 2007 – चित्रा मुद्गल के कथा साहित्य में समाज
v 2007 – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना के काव्य में लोकतत्व
v 2008 – डॉ.शिवप्रसाद सिंह के उपन्यासों में आंचलिकता
v 2008 – पं.बालकृष्ण भट्ट के निबंधों का अनुशीलन : सामाजिक और राजनैतिक चेतना का विशेष संदर्भ
v 2008 – केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान में राजभाषा कार्यान्वयन : स्थिति और संभावनाएँ
v 2009 – नरेंद्र कोहली कृत विवेकानंद की औपन्यासिक जीवनी का विश्लेषणात्मक अध्ययन
v 2009 – कमलेश्वर की कहानियों में मध्यवर्ग
v 2009 – सुरेंद्र वर्मा के नाटकों का विश्लेष्णात्मक अध्ययन
v 2010 – कृष्णा सोबती के उपन्यासों में सामाजिक अध्ययन
v 2010 – मेहरुन्निसा परवेज़ की कहानियाँ : सामाजिक यथार्थ और कथा भाषा
v 2011 - हैदराबाद से प्रकाशित हिंदी और तेलुगु समाचार पत्रों (2006 से 2013 तक) की भाषा का विश्लेषणात्मक अध्ययन
v 2011 – राही मासूम रज़ा के उपन्यासों में अल्पसंख्यक (मुस्लिम) समुदाय : स्वरूप और वैशिष्ट्य
v 2011 – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के पत्र साहित्य का विवेचनात्मक अध्ययन
v 2012 – हिंदी कहानी साहित्य में वृद्धावस्था का चित्रण
v 2012 – नई सदी के हिंदी उपन्यासों में स्त्री विमर्श
v 2012 – राम भक्तिकाव्य में लोकपक्ष
v 2013 – हिंदी उपन्यासों में व्यंग्य (समय सीमा : 1981-2000)
एम.फिल. शोधकार्य
1981-1982
v प्रेमचंद के साहित्य में आदर्शोन्मुख यथार्थवाद
v प्रसाद के काव्यों में विरह वेदना
v ‘गोदान’ में प्रयुक्त मुहावरों का शैलीपक्षीय अध्ययन
1983
v नवजागरण तथा सुब्रह्मण्य भारती एवं भारतेंदु हरिश्चंद्र : एक तुलनात्मक अध्ययन
v कबीर और अखा के निर्गुणवाद का तुलनात्मक अध्ययन
v ‘हेमलेट’ तथा ‘स्कंदगुप्त’ : कार्य की अन्विति का तुलनात्मक अध्ययन
v प्रेमचंद के ‘रंगभूमि’ और उन्नव लक्ष्मीनारायण के ‘मालपल्ली’ में सामाजिक चेतना का तुलनात्मक अध्ययन
v पंत और कीट्स के काव्य में बिंब योजना का तुलनात्मक अध्ययन
v ‘कामायनी’ और ‘उर्वशी’ में वर्णित द्वान्द्विक तत्वों का आलोचनात्मक अध्ययन
v प्रेमचंद के तीन प्रमुख उपन्यासों (‘सेवासदन’, ‘निर्मला’, ‘गोदान’) में संघर्षशील नारी पात्र
v सेना में हिंदी का प्रयोग : विवेचनात्मक अध्ययन
v हैदराबादी हिंदी और पिजिन
v प्रेमचंद की ऐतिहासिक कहानियों का विश्लेष्णात्मक अध्ययन
1984
v समकालीन हिंदी कविता के विविध काव्यांदोलन
v ‘रामचरितमानस’ और तेलुगु रामकाव्यों का तुलनात्मक अध्ययन
v साठोत्तरी प्रबंध काव्यों में पौराणिक संदर्भ
v प्रसाद की रहस्यवादी दृष्टि : ‘आँसू’ का संदर्भ
v ‘नाच्यौ बहुत गोपाल’ : सृजन एवं समीक्षा का आंचलिक संदर्भ
v श्रीश्री और धूमिल की कविताओं का सामाजिक दृष्टि से विवेचन
v श्रीनरेश मेहता कृत ‘महाप्रस्थान’ : एक विवेचन
1985
v अस्तित्ववादी दृष्टिकोण से ‘नदी के द्वीप’ और ‘चिवरकु मिगिलेदी’ का तुलनात्मक अध्ययन
v हिंदी और तेलुगु में प्रशासनिक शब्दावली : एक तुलना
v हिंदी में प्रगतिवादी काव्य की यथार्थ चेतना
v सूरसागर में देव दमन कृष्ण
v अनुवाद : सिद्धांत एवं व्यवहार का परिप्रेक्ष्य
v ‘अपरा और ‘अमृतं कुरिसिन रात्रि’ का तुलनात्मक अध्ययन
v प्रेमचंद और गोपीचंद के उपन्यासों में सामाजिक चेतना : एक तुलनात्मक अध्ययन
v माखनलाल चतुर्वेदी एवं डॉ.इकबाल की राष्ट्रीय भावना का तुलनात्मक अध्ययन
v डॉ.रांगेय राघव के ऐतिहासिक उपन्यास
v विमल मिश्र के साहित्य में बंगला संस्कृति
v तुलसी काव्य में सामाजिकता
v हिंदी तथा तेलुगु लोकगीतों में नारी
v सर्वेश्वरदयाल सक्सेना : व्यक्तित्व और कृतित्व
1986
v द्वितीय भाषा के रूप में हिंदी अध्ययन में अध्यापकों की समस्याएँ
v तार सप्तक की प्रमुख रचनाओं में प्रयुक्त विश्लेषणों का शैलीतात्विक अध्ययन
v द्वितीय भाषा हिंदी शिक्षण के संदर्भ में हिंदी-तेलुगु सर्वनामों का व्यतिरेकी विश्लेषण
v सत्ती मैया का चोरा : सामाजिक चेतना
v ‘राम की शक्तिपूजा’ : स्रोत और संरचना
v मुक्तिबोध के काव्य में आम आदमी
v हिंदी कहावतों में प्रतिबिंबित समाज
v सूर के कृष्ण : भाषिक संरचना में
v ‘नई कहानी’ में मनुष्य के रूप में बदलते हुए समाज
v ‘मैला आँचल’ और ‘कोल्लायिगट्टितेनेमि’ का समाजशास्त्रीय अध्ययन
v ‘राग दरबारी’ में व्यंग्य
v श्री भगवतीचरण वर्मा के उपन्यास ‘प्रश्न और मरीचिका’ का तात्विक विवेचन
v ‘कामायनी’ का विशेषण शिल्प
v ‘अंधा युग’ : प्रासंगिकता की भाषिक प्रामाणिकता
v भगवतीचरण वर्मा के उपन्यास ‘सबहि नचावन रामगोसाई’ में वर्ग चेतना
v अमृतलाल नागर के जीवनीपरक उपन्यास
1987
v हरिकृष्ण ‘प्रेमी’ के ऐतिहासिक नाटकों में प्रतिबिंबित मुगलकालीन इतिहास
v निर्मल वर्मा का कहानी साहित्य : एक अनुशीलन
v डॉ.रामकुमार वर्मा के सामाजिक एकांकियों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन
v सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानियाँ : एक अध्ययन
v बीजापुर जिले के लमाणियों के लोक साहित्य का लोकतात्विक अध्ययन
v बीजापुर जिले के बंजारों के लोक गीतों का सांस्कृतिक अध्ययन
v नंददास की रचनाओं में संगीत तत्व
v हरिकृष्ण ‘प्रेमी’ के ऐतिहासिक नाटकों में प्रतिबिंबित राजपूत कालीन इतिहास
v श्री जयशंकर प्रसाद के उपन्यासों की चेतना भूमि
v श्री बालशौरि रेड्डी कृत ‘लकुमा’ (हिंदी) तथा लल्ला देवी कृत ‘लकुमा देवी’ (तेलुगु) उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन
v सोहनलाल द्विवेदी कृत ‘कुणाल’ : एक समीक्षात्मक अध्ययन
v ‘मांस का दरिया’ : एक अध्ययन
v ‘चौदह फेरे’ : मनोसामाजिक विश्लेषण
v सूर की आँखें : ‘सूरसागर’ में
v हिंदी व्यंग्य : शरादजोशी के संदर्भ में
v मोहन राकेश की कहानियों की मूल्य चेतना
v श्री रवींद्रनाथ त्यागी का निबंध साहित्य : सामाजिक परिवेश और व्यंग्य
v बैंकिंग हिंदी के विकास में अनुवाद की भूमिका
v ‘शिवानी’ के उपन्यासों में नारी भावना
v डॉ.शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ के काव्यों में अंतःस्यूत प्रगतिवादी चेतना
v श्री भगवतीचरण वर्मा की ‘मेरी कविताएँ’ : चेतना एवं शिल्प
v शिवानी के साहित्य में पहाड़ी संस्कृति
1988
v ‘मानस’ की मिथकीय भूमिका
v ‘लकुमा’ (हिंदी) तथा ‘लकुमा देवी’ (तेलुगु) उपन्यासों का तुलनात्मक तात्विक विवेचन
v चलम तथा जैनेंद्र की कहानियाँ
v राजेंद्र यादव की कहानियों में अलगावबोध
v उपेंद्रनाथ अश्क के नाटकों में सामाजिक समस्याएँ
v डॉ.रामदरश मिश्र की कहानियों का विवेचनात्मक अध्ययन
v हिंदी और तेलुगु गीति काव्य (1950 से 1960 तक) : एक तुलनात्मक अध्ययन
v ग्रामीण विकास विभाग में हिंदी
v भगवतीचरण वर्मा के उपन्यास ‘भूले बिसरे चित्र’ में युगबोध
v हिंदी सर्वनामों का समाजभाषावैज्ञानिक अध्ययन
v गिरिराज किशोर कृत ‘तीसरा सत्ता’ उपन्यास का विवेचनात्मक अध्ययन
v आधुनिक काब्य भाषा में जनभाषा चेतना
1991
v ‘दर्शक’ : एक समाज-मनोवैज्ञानिक विश्लेषण
v नौवें दशक की कहानियों में यथार्थ
v हिंदी अकविता और तेलुगु दिगंबर कविता : एक तुलनात्मक अध्ययन
v ‘झीनी झीनी बीनी चदरिया’ का शैलीवैज्ञानिक विश्लेषण
v अज्ञेय की कहानियों में आधुनिकताबोध
v नारायण रेड्डी का ‘विश्वंभरा’ काव्य और उसका हिंदी अनुवाद : एक मूल्यांकन
1992
v ख्वाजा बंदेनवाज़ गेसूदराज का ‘मेराजुल आशकीन’ और उसकी भाषा
v पत्रकारिता में व्यावसायिक प्रयुक्ति का प्रयोग : अनुवाद के संदर्भ में
v इलेक्ट्रॉनिक शब्दावली का हिंदी अनुवाद : मूल्यांकन एवं विश्लेषण
v ‘सत्यार्थ प्रकाश’ का अंग्रेज़ी अनुवाद : एक मूल्यांकन
v बैंकिंग साहित्य का अनुवाद : एक मूल्यांकन
1993
v गोकाक कृत ‘सौंदर्य मीमांसा’ का विवेचनात्मक अध्ययन
v हिंदी और तेलुगु प्रत्यय विधान : व्यतिरेकी विश्लेषण
v भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंध अकादमी में राजभाषा हिंदी
v ‘उर्वशी’ का भाषिक विश्लेषण
v ‘वयंरक्षाम ‘ : पौराणिक एवं सांस्कृतिक तत्वों का स्वरूप
v मालती जोशी के उपन्यासों में नारी का स्वरूप
v उषा प्रियंवदा के उपन्यासों में मध्यवर्गीय नारी मानोविज्ञान
v हिंदी भाषा : प्रयोग और सामाजिक संबंध
v अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान और भाषावैज्ञानिक प्रो.रवींद्रनाथ श्रीवास्तव की हिंदी पुस्तकें : एक विवेचन
1994
v हिंदी पत्रकारिता की व्यावसायिक भाषा
v ‘आपका बंटी’ : पारिवारिक संबंधों का मनोविज्ञान
v डॉ.रामकुमार वर्मा के एकांकियों में व्यंग्य
v ‘खंजन नयन’ : जीवनीपरक विश्लेषण
v ‘दसद्वार’ से ‘सोपान तक’ : शैलीपरक विश्लेषण
v ‘रतीनाथ की चाची’ का यथार्थ
v उग्र की रचनाएँ और उन पर अरबी-फारसी का प्रभाव
v ‘ध्रुव स्वामिनी’ में नारी स्वतंत्र चेतना
v बैंकों में राजभाषा प्रयोग : स्वरूप और विश्लेषण
v निराला के ‘नए पत्ते’ की शैली और शिल्प का विवेचन
v कबीर का आदर्शवाद
v ‘अमिता’ : एक विवेचनात्मक अध्ययन
v राजभाषा हिंदी की सामाजिक भूमिकाओं का विकास
1995
v अकविता के संदर्भ में जगदीश चतुर्वेदी और उनकी कविता
v हिंदी पत्रकारिता की शब्दावली का स्रोतगत विवेचन
v अमृतलाल नागर के उपन्यास ‘सेठ बांकेमल’ का शैलीवैज्ञानिक विश्लेषण
v दूरदर्शन पर प्रसारित हिंदी-अंग्रेज़ी विज्ञापनों का भाषिक विश्लेषण एवं मूल्यांकन
v तुलसीदास तथा रामदास के काव्यों में अभिव्यक्त भक्ति भावना : एक तुलनात्मक अध्ययन
v द्वितीय भाषा हिंदी शिक्षण में तेलुगु छात्रों की त्रुटियों का विश्लेषण
v उषा प्रियंवदा : औपन्यासिक रचना संसार
v प्रेमचंद की कहानियों में बाल चरित्र
v अनुवाद समीक्षा : ‘गोदान’ का अंग्रेज़ी अनुवाद
v भैरव प्रसाद गुप्त के उपन्यासों का मनोविश्लेषणात्मक अध्ययन
1996
v ‘आधा गाँव’ : समाजभाषिक विश्लेषण
v अन्य भाषा शिक्षण की सहायक सामग्री : प्रयोग और उपादेयता
v दूरसंचार विभाग के संदेशों का भाषिक विश्लेषण
v हिंदी-तेलुगु की काव्य संरचना : व्यतिरेकी विश्लेषण
v ‘करवट’ में चित्रित सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तनों का विश्लेषण
v प्रेमचंद की कहानियों का शिल्प-शैलीपरक अध्ययन
v हरिशंकर परसाई और उनका व्यंग्य : एक विवेचन
v राजभाषा विभाग की प्रशिक्षण सामग्री का विवेचनात्मक अध्ययन
v ‘अपरा’ और ‘कृष्णपक्षम’ में निरूपित सौंदर्यशास्त्रीय पक्षों का तुलनात्मक अध्ययन
v ‘कसप’ में कुमाऊँनी जीवन और भाषा : विवेचनात्मक अध्ययन
v नई कहानी का वस्तुपरक विवेचन
v नई कविता में यथार्थ
v ‘महाभोज’ में राजनैतिक चेतना
1998
v ‘क्रमशः’ की कहानियाँ : प्रकार्यात्मक पाठ विश्लेषण
v राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान में राजभाषा हिंदी का कार्यान्वयन
v भीष्म साहनी के नाटकों का समीक्षात्मक अध्ययन
v संप्रेषणपरक भाषा शिक्षण : सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक विवेचन
v हिंदी उपन्यास क्षेत्र में ‘चंद्रकांता’ की प्रासंगिकता
v आबिद सुरती के उपन्यास ‘टूटे हुए फरिश्ते’ में कोड मिश्रण एवं कोड परिवर्तन
v केदारनाथ सिंह के काव्य में लोकतत्व
1999
v सुभद्राकुमारी चौहान के काव्य में व्यक्त समाज
v नई कविता में आम जीवन का चित्रण
v ‘गंगामैया’ का शिल्प और भाषागत विवेचन
v ‘मेरी तेरी उसकी बात’ : राजनैतिक स्थिति एवं प्रयुक्ति का संदर्भ
v प्रेमचंद, फणीश्वरनाथ रेणु और शिवप्रसाद सिंह की कहानियों में ग्रामीण यथार्थ
v कमलेश्वर की कहानियों में आम आदमी की संकल्पना
v रमेश बक्षी के नाटकों में नारी चेतना
v ‘वे दिन’ का संदर्भ और आधुनिकताबोध
2000
v भाषावैज्ञानिक अध्ययन में संदर्भ ग्रंथ सूची का उपयोग : एक अवलोकन
v अज्ञेय की कहानियों में मानवीय यथार्थ
v ‘इदन्नमम’ का भाषिक पक्ष : एक विश्लेषण
v ‘भूले बिसरे चित्र’ में व्यक्त सामाजिक परिवर्तनों का विवेचनात्मक अध्ययन
v ‘कन्याशुल्कम’ का हिंदी अनुवाद : समीक्षा
v ‘कागज है पैरहन’ : एक अनुशीलन
v मित्र संवाद : एक अनुशीलन
v सरलीकरण के संदर्भ में हिंदी की प्रशासनिक शब्दावली : एक विवेचन
v मिथिलेश्वर की कहानियों में भाषिक अभिव्यंजना
v वीरेंद्र जैन के उपन्यास ‘पंचनामा’ का भाषिक विश्लेषण
v अज्ञेय के यात्रावृत्तांत : विषय वस्तु का संदर्भ
v अन्य भाषा शिक्षण की विधियाँ
v मोहन राकेश के नाटक : रंगमंचीय संभावनाएँ
v ‘मादा कैक्टस’ का शैलीवैज्ञानिक विश्लेषण
2001
v राजभाषा हिंदी की संप्रेषणीयता : बैंकिंग हिंदी का संदर्भ
v ‘चिवरकु मिगिलेदि’ का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और अनुवाद समीक्षा
v ‘बलचनमा’ का शैलीवैज्ञानिक विश्लेषण
v हिंदी आत्मकथा : दलित परिदृश्य
v निराला के काव्य में रंग शब्दावली : एक समाजभाषावैज्ञानिक अध्ययन
v ‘बूँद और समुद्र’ उपन्यास में व्यक्ति, समाज और भाषा
v ‘कलिकथा वया बाइपास’ : समीक्षात्मक अध्ययन
v भीष्म साहनी की प्रमुख कहानियों में व्यवस्था का चित्रण
v संत साहित्य की पृष्ठभूमि : तुलनात्मक अध्ययन
v ‘मिट्टी, मनुष्य और आकाश’ का अनुवाद : समीक्षात्मक अध्ययन
v सुरेंद्र वर्मा के नाटक ‘छोटे सैयद बड़े सैयद’ का भाषिक विश्लेषण
v ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’ में सांकृतिक चेतना
v ‘सात आसमान’ और आधुनिकताबोध का संदर्भ
v शानी की कहानियों में बिंब, प्रतीक और अप्रस्तुत योजना
2002
v डॉ.लक्ष्मीनारायण लाल के नाटकों में नारी
v ‘आधे अधूरे’ का रंगमंचीय विश्लेषण
v ‘चित्रलेखा’ का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण
v अब्दुल बिस्मिल्लाह के उपन्यास ‘मुखड़ा क्या देखे’ में सामाजिक यथार्थ
v ‘कुरुक्षेत्र’ : अंग्रेज़ी अनुवाद की समीक्षा
v ‘मेरुपुलु मरकलु’ की अनुवाद समीक्षा
v ‘केंचुल’ कहानियों का विश्लेष्णात्मक अध्ययन
v ‘बिस्रामपुर का संत’ : एक अध्ययन
v मंजुल भगत की ‘चर्चित कहानियाँ’ : आधुनिकताबोध
v मिथिलेश्वर की कहानियों में ग्राम जीवन
v ‘पहला राजा’ : मिथक और यथार्थ
v ‘और पसीना बहता रहा’ : उपन्यास में सामाजिक चेतन
v कविता से लंबी कविता में बिंब विधान (विनोद कुमार शुक्ल)
2003
v रवींद्र कालिया कृत ‘गालिक-छुटी शराब’ : संस्मरणात्मक संवेदना के विभिन्न पहलुओं का सामाजिक संदर्भ
v ‘लहरों का राजहंस’ का रंगमंचीय विश्लेषण
v ‘कोमल गंगाधर’ : एक अनुशीलन
v भगवतीचरण वर्मा कृत ‘रेखा’ का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण
v ‘कथा सतीसर’ : सामाजिक यथार्थ
v नई कविता के प्रतिचयित प्रबंध काव्यों में युद्ध की समस्या
v प्रदीप पंत की कहानियों में व्यंग्य
v महेश दर्पण की ‘इक्कीस कहानियाँ’ : समीक्षात्मक अध्ययन
v ‘कालाजल’ : सामाजिक यथार्थ और कथा भाषा
v डॉ.राम अवध शास्त्री के ललित निबंधों का समीक्षात्मक अध्ययन
v निर्मल वर्मा की कहानियाँ : शिल्प एवं शैलीपरक विवेचन
2004
v लीलाधर जगूड़ी के काव्य संकलन ‘भय भी शक्ति देता है’ में चित्रित यथार्थ
v ‘जंगल जहाँ शुरू होता है’ : शिल्पविधि और आंचलिकता का प्रतिफलन
v मैत्रेयी पुष्पा का उपन्यास ‘झूला नट’ : समाज और भाषा
v जया जादवानी के उपन्यास ‘तत्वमासी’ में आधुनिकताबोध
v परिवेश चित्रण की दृष्टि से देवेंद्र उपाध्याय की कहानियों का अनुशीलन
v डॉ.लक्ष्मीनारायण लाल कृत ‘सूर्य मुख’ का समीक्षात्मक अध्ययन
v ‘आषाढ़ का एक दिन’ का रंगमंचीय विश्लेषण
v श्रीलाल शुक्ल कृत ‘मकान’ उपन्यास का विवेचनात्मक अध्ययन
v ‘लपटें’ कहानी संग्रह का तात्विक विश्लेषण
v अंडे के छिलके, अन्य एकांकी तथा बीज नाटक : एक अनुशीलन
2005
v डॉ.रामदरश मिश्र के संस्मरणों एवं यात्रावृत्तों में चित्रित युगीन परिवेश
v शिवमूर्ति कृत ‘तर्पण’ उपन्यास में दलित चेतना
v रामदरश मिश्र के उपन्यासों में चित्रित नारी
v कथाशिल्प प्रेमचंद की कहानियों में स्वतंत्रता आंदोलन
v ‘कहि न जाय का कहिए’ : एक आत्मकथात्मक विश्लेषण
v हिंदी के प्रमुख भक्त कवियों के जीवनीपरक उपन्यास : एक विश्लेषण
v सर्वेश्वरदयाल सक्सेना के नाटकों में व्यंग्य
v हिंदी और तेलुगु प्रशासनिक शब्दावली का तुलनात्मक अध्ययन
v ‘रजनी दिन नित्य चला ही क्या’ : काव्य वस्तु का विवेचन
v ओमप्रकाश वाल्मीकि की कहानियों में दलित चेतना
2006
v निराला की लंबी कविताओं का कथ्य एवं शिल्प
v रंगेय राघव कृत ‘बंदूक और बीन’ में युद्ध की समस्या
v लक्ष्मीनारायण मिश्र के नाटकों में नारी चेतना
v नागार्जुन कृत ‘वरुण के बेटे’ : एक अनुशीलन
v शिवमूर्ति कृत ‘त्रिशूल’ : एक अनुशीलन
v कबीर और नानक की रचनाओं का भाषिक विश्लेषण
v गोविंद मिश्र कृत ‘हुजूर दरबार’ में चित्रित सामंतवाद
v नासिरा शर्मा की कहानियों में बदलते जीवन मूल्य
v गोविंद मिश्र के ‘लाल पीली ज़मीन’ में चित्रित परिवेश
v मैत्रेयी पुष्पा की ‘कस्तूरी कुंडल बसै’ : आत्मकथात्मक विश्लेषण
v हिंदी के प्रमुख कवियों के जीवनीपरक उपन्यास : एक अनुशीलन
v ‘टुकड़े-टुकड़े दास्तान’ : आत्मकथात्मक विश्लेषण
v मैत्रेयी पुष्पा कृत ‘चिह्नार’ में चित्रित सामाजिक समस्याएँ
v महादेवी वर्मा के निबंध संग्रह ‘शृंखला की कड़ियाँ’ में स्त्री
v ‘पुनर्नवा’ में साँस्कृतिक चेतना
v डॉ.वृंदावनलाल वर्मा के ऐतिहासिक उपन्यासों में चित्रित नारी
v रमेशचंद्र शाह की ‘चर्चित कहानियाँ’ : सामाजिक यथार्थ
v ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविताओं में दलित चेतना (‘सदियों का संताप और बरस! बहुत हो चुका’ का विशेष संदर्भ)
v रांगेय राघव के जीवनीपरक उपन्यास : एक अनुशीलन (‘धूनी का धुआँ’ और ‘लखिमा की आँखें’ के विशेष संदर्भ में)
v मन्नू भंडारी की कहानियों में आधुनिकताबोध (‘मैं हार गई और तीन निगाहों की एक तस्वीर’ के विशेष संदर्भ में)
v नरेंद्र कोहली के ‘आतंक’ में मिथक की सामाजिक भूमिका
v ‘वरुण के बेटे’ तथा ‘सागर, लहरें और मनुष्य’ में आंचलिकता : तुलनात्मक अध्ययन
2007
v धर्मवीर भारती के ‘यात्रा चक्र’ में युद्ध विषयक चिंतन
v दूधनाथ सिंह के उपन्यास ‘आख़िरी कलाम’ में समाज
v विवेकीराय कृत ‘चली फागुनहट बौरे आम’ : लोकतत्व
v सहयोगी उपन्यास : कथ्य एवं शिल्प
v निमल वर्मा के निबंधों में संस्कृति
v महीप सिंह की ‘चर्चित कहानियाँ’ : आधुनिकताबोध
v जयनंदन कृत ‘कस्तूरी पहचानो, वत्स’ : शैलीवैज्ञानिक अध्ययन
v सूरजपाल चौहान की आत्मकथा ‘तिरस्कृत’ : दलित चेतना और भाषा
v पत्रकार रघुवीर सहाय : भाषा चिंतन
v हास्य-व्यंग्य का विधागत वैशिष्ट्य (श्रीलाल शुक्ल संपादित ‘हिंदी हास्य-व्यंग्य संकलन’ के विशेष संदर्भ में)
v राकेश वत्स कृत ‘मेरी खास कहानियाँ’ : सामाजिक यथार्थ
v ‘अल्मा कबूतरी’ में सामाजिक यथार्थ
2008
v ममता कालिया के लघु उपन्यासों में स्त्री विमर्श
v प्रणव कुमार वन्द्योपाध्याय की कहानियों का सामाजिक यथार्थ
v असगर वजाहत के कहानी संग्रह ‘मैं हिंदू हूँ’ में सामाजिक चेतना
v काशीनाथ सिंह के संस्मरण ‘घर का जोगी जोगड़ा’ का अनुशीलन
v जगदीशचंद्र कृत उपन्यास ‘नरककुंड में वास’ में यथार्थ चित्रण
v महादेवी वर्मा के संस्मरणों में ममता की अभिव्यक्ति
v आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंधो में लेखकीय व्यक्तित्व और वैचारिकता
v रामधारी सिंह दिवाकर के उपन्यास ‘आग-पानी-आकाश’ में सामाजिक चेतना
v रामदरश मिश्र की कहानियों में ग्राम चेतना
v पुष्पा बंसल का कथा-काव्य ‘प्रतिवाद-पर्व’ : स्त्री विमर्श
v कमलेश्वर के नाटक : ‘हिन्दोस्ताँ हमारा’ में स्वाधीनता संघर्ष के विविध संदर्भ
v श्रीलाल शुक्ल के उपन्यास ‘राग दरबारी’ में राजनैतिक चेतना
v संजीव के उपन्यास ‘सूत्रधार’ का लोकतात्विक अध्ययन
v अलका सरावगी के कहानी संग्रह ‘दूसरी कहानी’ में सामाजिक समस्याएँ
v निर्मल वर्मा का उपन्यास ‘अंतिम अरण्य’ : वृद्धावस्था का संदर्भ
v राजेंद्र अवस्थी की कहानियों में आधुनिकताबोध (विवेच्य संग्रह : चर्चित कहानियाँ)
v अमरकांत के उपन्यास ‘सूखा पत्ता’ में आधुनिकताबोध
2009
v शैलेश मटियानी की कहानियों में आंचलिकता
v ‘गोदान’ में चित्रित नगरीय जीवन
v मराठी नाटक ‘आखेरचा सवाल’ का हिंदी अनुवाद
v रामदरश मिश्र के उपन्यास ‘जल टूटता हुआ’ में आंचलिकता
v मोहनदास नैमिशराय के उपन्यास ‘मुक्तिपर्व’ में दलित चेतना
v हरिशंकर परसाई के निबंधों में लेखकीय व्यक्तित्व और वैचारिकता (‘निबंधों की दुनिया’ का विशेष संदर्भ)
v समसामयिक टी.वी. विज्ञापनों का प्रयुक्तिपरक वैशिष्ट्य
v प्रभा खेतान की आत्मकथा ‘अन्या से अनन्या’ : स्त्री जीवन की विविध स्थितियाँ
2010
v गोविंद मिश्र के उपन्यास ‘धूल पौधों’ पर में सामाजिक यथार्थ
v डॉ.ज्ञानसिंह मान के उपन्यास ‘सूना अंबर’ का मनोविश्लेषणात्मक अध्ययन
v श्यौराज सिंह बेचैन की आत्मकथा ‘मेरे बचपन मेरे कंधों पर’ में दलित चेतना
v चित्रा मुद्गल की कहानियों में मध्यवर्ग
v उच्च शिक्षा और शोध संस्थान (हैदराबाद केंद्र) में संपन्न लोकतात्विक शोधकार्य
v दलित विमर्श और ‘नाच्यौ बहुत गोपाल’
v भगवानदास मोरवाल के उपन्यास ‘रेत’ का लोकतात्विक अध्ययन
v भगवतीशरण मिश्र के उपन्यास ‘लक्ष्मण रेखा’ में समकालीन बोध
v वीरेंद्र जैन के कहानी संग्रह ‘भार्या’ में समाज
v विद्यासागर नौटियाल की कहानियों का समाजशास्त्रीय अध्ययन
v ‘अपने अपने राम’ में मिथक और कल्पना
v चंद्रकांता के उपन्यास ‘अपने अपने कोणार्क’ में आधुनिकताबोध
2011
v अनामिका के उपन्यास ‘तिनके तिनके पास’ में स्त्री विमर्श
v ममता कालिया के खंडकाव्य ‘कितने प्रश्न करूँ’ में मिथक, परंपरा और आधुनिकता
v संजय कुंदन के कहानी संग्रह ‘बॉस की पार्टी’ में व्यंग्य
v एन.गोपि कृत तेलुगु काव्य ‘कालान्नि निद्रपोनिव्वनू’ का हिंदी अनुवाद : तुलनात्मक अध्ययन
v माधवीकुट्टी के मलयालम उपन्यास ‘वंडीक्कालकल’ का हिंदी अनुवाद
v दिनकर की वैचारिकता : निबंधों का विशेष संदर्भ (हमारी सांस्कृतिक एकता, रेती के फूल, अर्धनारीश्वर)
v ‘देवरानी जेठानी की कहानी’ और ‘परिक्षा गुरु’ में आधुनिकताबोध का तुलनात्मक अध्ययन
v जाया जादवानी के कहानी संग्रह ‘उससे पूछो’ में यथार्थ
v राजकमल चौधरी के कहानी संग्रह ‘पत्थर के नीचे दबे हुए हाथ’ में स्त्री विमर्श
v भगवानदास मोरवाल कृत ‘काला पहाड़’ में सामाजिक चेतना
v चंद्रकिरण सौनरेक्सा की आत्मकथा ‘पिंजरे की मैना’ में स्त्री विमर्श
v नासिरा शर्मा के कहानी संग्रह ‘खुदा की वापसी’ में स्त्री विमर्श
v विजय तेंडुलकर के उपन्यास ‘कादंबरी-दो’ मैं राजनैतिक चेतना
v सतीश दुबे कृत ‘समकालीन सौ लघुकथाएँ’ में आम आदमी
v धर्मवीर भारती कृत ‘अंधा युग’ का सौंदर्यशास्त्रीय विश्लेषण
v काशीनाथ सिंह के उपन्यास ‘रेहन पर रग्घू’ में भूमंडलीकरण का संदर्भ
v प्रेमचंद का उपन्यास ‘मनोरमा’ : समाज और भाषा
v भगवान सिंह के उपन्यास ‘उन्माद’ में सामाजिक चेतना
v सच्चिदानंद चतुर्वेदी के उपन्यास ‘अधबुनी रस्सी : एक परिकथा’ में लोकतत्व
v केदारनाथ सिंह की कविता में मूल्यबोध (‘अकाल में सारस’, ‘उत्तर कबीर’ तथा ‘बाघ’ का विशेष संदर्भ)
2012
v ‘राग दरबारी’ में शिक्षा जगत का यथार्थ
v चंद्रकांता के उपन्यास ‘यहाँ वितस्ता बहती है’ का शैलीवैज्ञानिक अध्ययन
v हबीब तनवीर के नाटक ‘आगरा बाजार’ में वस्तु, शिल्प
v निराला के निबंधों की वैचारिकता (आधार ग्रंथ – ‘निबंधों की दुनिया’ : निराला)
v पंकज सुबीर के कहानी संग्रह ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ में परिवेश चित्रण
v सुशीला टाकभौरे की आत्मकथा ‘शिकंजे का दर्द’ में दलित स्त्री का जीवन संघर्ष
v प्रभा खेतान के उपन्यासों ‘छिन्नमस्ता’ और ‘पीली आँधी’ में स्त्री विमर्श
v नागार्जुन के निबंध साहित्य का समाजशास्त्रीय अध्ययन
v पुनर्जागरण के संदर्भ में बालकृष्ण भट्ट कृत ‘निबंधों की दुनिया’ का अनुशीलन
v नीलम राकेश की कहानियों में स्त्री विमर्श
v आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के पत्रों का विश्लेष्णात्मक अनुशीलन
v नीलम कुलश्रेष्ठ का स्त्री विमर्श : ‘हैवनली हेल’ का विशेष संदर्भ
v तुलसी कृत ‘रामचरितमानस’ में सामाजिक चेतना
v हिंदी ब्लॉगिंग में महिला ब्लॉगरों का योगदान
2013
v दलित कहानियों में चित्रित सामाजिक यथार्थ (‘नई सदी की पहचान – श्रेष्ठ दलित कहानियाँ’)
v हीरालाल बाछोतिया का काव्य ‘विद्रोहिणी शबरी’ : नए विमर्शों का संदर्भ
v कुसुम खेमानी कृत ‘सच कहती कहानियाँ’ में भाषा मिश्रण और भाषा परिवर्तन
v माता प्रसाद की आत्मकथा ‘झोपड़ी से राजभवन’ में दलित विमर्श
v ममता कालिया कृत ‘कितने शहरों में कितनी बार’ में चित्रित परिवेश
v भीष्म साहनी के साक्षात्कारों में लेखकीय व्यक्तित्व और वैचारिकता
v विजय के उपन्यास ‘मुहाफिज’ में सामाजिक यथार्थ
v राजकुमार गौतम कृत ‘कब्र तथा अन्य कहानियाँ’ में जीवन मूल्य
v पुरुषोत्तमदास अग्रवाल की आलोचना कृति ‘अकथ कहानी प्रेम की’ : वैचारिकता
v ज्ञान चतुर्वेदी के उपन्यास ‘बारामासी’ में व्यंग्य
v महेंद्र भटनागर के कविता संग्रह ‘सरोकार और सृजन’ में सामाजिक यथार्थ
v रामदरश मिश्र के उपन्यास ‘दूसरा घर’ में यथार्थ
v विष्णु प्रभाकर कृत उपन्यास ‘अर्द्धनारीश्वर’ में स्त्री विमर्श
v के.एस.तूफ़ान का दलित विमर्श : ‘टूटते संवाद’ के विशेष संदर्भ में
v मधुकर सिंह के उपन्यास ‘बाजत अनहद ढोल’ में आदिवासी विमर्श
v मनोज सिंह के उपन्यास ‘कशमकश’ में स्त्री विमर्श
v रमेशचंद्र शाह की कहानियों में यथार्थ
v विवेकानंद के कहानी संग्रह ‘गुंजन शर्मा बीमार है’ का समाजशास्त्रीय अध्ययन
v चित्रा मुद्गल के उपन्यास ‘गिलिगडु’ में वृद्धावस्था विमर्श
v विवेकी राय के उपन्यास ‘नमामि ग्रामम’ में ग्राम जीवन
v कमल कुमार कृत ‘हैमबरगर’ में स्त्री विमर्श
v प्रमोद कुमार तिवारी का उपन्यास ‘डर हमारी जेबों में’ : समकालीन यथार्थ
v ‘दोना पावला और तीन औरतें’ में परिवेश चित्रण
v नीलाक्षी सिंह का कहानी संग्रह ‘परिंदे से इंतज़ार-सा कुछ’ : सामाजिक यथार्थ और कथा भाषा
v 1987 – आधुनिक हिंदी कविता : छंद प्रतिविधियाँ
v 1988 – हिंदी साहित्य में रूपक-कथा-काव्य
v 1991 – स्वातंत्र्योत्तर हिंदी काव्य चेतना
v 2013 – आदिवासी जीवन : भारतीय समाज और हिंदी साहित्य
पीएच.डी. शोधकार्य
v 1979 – हिंदी आलोचना और मनोविश्लेषण
v 1983 – श्री सोहनलाल द्विवेदी के काव्यों में अंतःस्यूत राष्ट्रीय भावना
v 1984 – समसामयिक प्रमुख हिंदी कवियों की काव्य भाषा का अध्ययन (साहित्याचार्य)
v 1985 – पारिभाषिक शब्दावली : समस्याएँ तथा समाधान
v 1985 – हिंदी और गुजराती संत साहित्य
v 1985 – अनुवाद के सिद्धांत, समस्याएँ एवं समाधान
v 1987 – प्रयुक्तिपरक अनुवाद : एक विश्लेषण
v 1987 – भगवतीचरण वर्मा के उपन्यासों में अंतःस्यूत जीवन मूल्य
v 1987 – डॉ.मिथिलेश कुमारी मिश्र का व्यक्तित्व और कृतित्व
v 1988 – आधुनिक हिंदी काव्य में आधुनिकता और परंपरा का द्वंद्व (1857-1920)
v 1988 – श्री सियारामशरण गुप्त के काव्यों में अभिव्यंजित राष्ट्रीय भावना
v 1988 – सूरसागर में गाय, गोपाल और गोपी : समाजशास्त्रीय अध्ययन
v 1989 – प्रशासनिक हिंदी प्रयोग और संभावनाएँ
v 1991 – स्वातंत्र्योत्तर हिंदी कहानी में आधुनिकताबोध
v 1992 – शिवानी की साहित्य भाषा
v 1992 – दक्खिनी हिंदी का भाषावैज्ञानिक विश्लेषण
v 1993 – हैदराबाद जिले में पटकरी समुदाय का भाषा अनुरक्षण और विस्थापन
v 1993 – जनसंचार माध्यम में हिंदी समाचारों का भाषिक विश्लेषण
v 1994 – स्वातंत्र्योत्तर हिंदी उपन्यासों में मार्क्सवादी चेतना (1947-1980)
v 1994 – मोहन राकेश के उपन्यासों में मानवीय संबंध
v 1995 – सजातीय और विजातीय भाषाओं के बीच अनुवाद की समस्याएँ : ‘कामायनी’ के तेलुगु और अंग्रेज़ी अनुवाद के विशेष संदर्भ में
v 1996 – रेणु के ‘मैला आंचल’ तथा ‘परती परिकथा’ का भाषिक विश्लेषण
v 1997 – रामदरश मिश्र के उपन्यासों में सांस्कृतिक और मिथकीय संदर्भ
v 1998 – नई कविता का रचना विधान
v 1998 – भारतीय बहुभाषिकता के संदर्भ में गुंटूर में मारवाड़ी समुदाय का भाषा व्यवहार
v 1998 – समाज संदर्भित भाषा अध्ययन : विचार और अवधारणाएँ
v 1999 – यशपाल के उपन्यास और मार्क्सवाद : एक विवेचनात्मक अध्ययन
v 2000 – शिवप्रसाद सिंह की कहानियों में ग्राम जीवन और परिवेश
v 2000 – अन्य भाषा शिक्षण में साहित्य शिक्षण की प्रणालियाँ और पद्धतियाँ
v 2001 – सैद्धांतिक-अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान और हिंदी
v 2002 – हिंदी और तेलुगु के समाजभाषावैज्ञानिक पक्ष की तुलना
v 2002 – हिंदी विज्ञापन : भाषिक और शैलीगत विश्लेषण
v 2002 – स्त्री भाषा का सामाजिक संदर्भ और हिंदी उपन्यास
v 2002 – गांधी दर्शन के आलोक में आधुनिक हिंदी कविता का अनुशीलन
v 2003 – श्रीलाल शुक्ल के उपन्यासों का समाजशास्त्रीय अध्ययन
v 2004 – ‘पहला गिरमिटिया’ में राजनैतिक प्रयुक्ति का विश्लेषण
v 2004 – आचार्य रामचंद्र शुक्ल के निबंध साहित्य का अध्ययन : वस्तु और विन्यास का संदर्भ
v 2004 – डॉ.विद्यानिवास मिश्र के ललित निबंध : संस्कृति और प्रकृति का अंतःसंबंध
v 2005 – चित्रा मुद्गल के उपन्यास ‘आवां’ का भाषिक अध्ययन
v 2005 – मैत्रेयी पुष्पा की कहानियाँ : चेतना और शिल्प
v 2005 – गोविंद मिश्र के उपन्यासों में सामाजिक यथार्थ
v 2007 – प्रेमचंद के प्रमुख कथा साहित्य के अंग्रेजी अनुवाद की समीक्षा और मूल्याकंन
v 2007 – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के उपन्यासों में सांस्कृतिक चेतना
v 2007 – निर्मल वर्मा के उपन्यासों में आधुनिकताबोध
v 2007 – भीष्म साहनी के उपन्यासों का समाजशास्त्रीय अध्ययन
v 2007 – चित्रा मुद्गल के कथा साहित्य में समाज
v 2007 – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना के काव्य में लोकतत्व
v 2008 – डॉ.शिवप्रसाद सिंह के उपन्यासों में आंचलिकता
v 2008 – पं.बालकृष्ण भट्ट के निबंधों का अनुशीलन : सामाजिक और राजनैतिक चेतना का विशेष संदर्भ
v 2008 – केंद्रीय बारानी कृषि अनुसंधान संस्थान में राजभाषा कार्यान्वयन : स्थिति और संभावनाएँ
v 2009 – नरेंद्र कोहली कृत विवेकानंद की औपन्यासिक जीवनी का विश्लेषणात्मक अध्ययन
v 2009 – कमलेश्वर की कहानियों में मध्यवर्ग
v 2009 – सुरेंद्र वर्मा के नाटकों का विश्लेष्णात्मक अध्ययन
v 2010 – कृष्णा सोबती के उपन्यासों में सामाजिक अध्ययन
v 2010 – मेहरुन्निसा परवेज़ की कहानियाँ : सामाजिक यथार्थ और कथा भाषा
v 2011 - हैदराबाद से प्रकाशित हिंदी और तेलुगु समाचार पत्रों (2006 से 2013 तक) की भाषा का विश्लेषणात्मक अध्ययन
v 2011 – राही मासूम रज़ा के उपन्यासों में अल्पसंख्यक (मुस्लिम) समुदाय : स्वरूप और वैशिष्ट्य
v 2011 – आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के पत्र साहित्य का विवेचनात्मक अध्ययन
v 2012 – हिंदी कहानी साहित्य में वृद्धावस्था का चित्रण
v 2012 – नई सदी के हिंदी उपन्यासों में स्त्री विमर्श
v 2012 – राम भक्तिकाव्य में लोकपक्ष
v 2013 – हिंदी उपन्यासों में व्यंग्य (समय सीमा : 1981-2000)
एम.फिल. शोधकार्य
1981-1982
v प्रेमचंद के साहित्य में आदर्शोन्मुख यथार्थवाद
v प्रसाद के काव्यों में विरह वेदना
v ‘गोदान’ में प्रयुक्त मुहावरों का शैलीपक्षीय अध्ययन
1983
v नवजागरण तथा सुब्रह्मण्य भारती एवं भारतेंदु हरिश्चंद्र : एक तुलनात्मक अध्ययन
v कबीर और अखा के निर्गुणवाद का तुलनात्मक अध्ययन
v ‘हेमलेट’ तथा ‘स्कंदगुप्त’ : कार्य की अन्विति का तुलनात्मक अध्ययन
v प्रेमचंद के ‘रंगभूमि’ और उन्नव लक्ष्मीनारायण के ‘मालपल्ली’ में सामाजिक चेतना का तुलनात्मक अध्ययन
v पंत और कीट्स के काव्य में बिंब योजना का तुलनात्मक अध्ययन
v ‘कामायनी’ और ‘उर्वशी’ में वर्णित द्वान्द्विक तत्वों का आलोचनात्मक अध्ययन
v प्रेमचंद के तीन प्रमुख उपन्यासों (‘सेवासदन’, ‘निर्मला’, ‘गोदान’) में संघर्षशील नारी पात्र
v सेना में हिंदी का प्रयोग : विवेचनात्मक अध्ययन
v हैदराबादी हिंदी और पिजिन
v प्रेमचंद की ऐतिहासिक कहानियों का विश्लेष्णात्मक अध्ययन
1984
v समकालीन हिंदी कविता के विविध काव्यांदोलन
v ‘रामचरितमानस’ और तेलुगु रामकाव्यों का तुलनात्मक अध्ययन
v साठोत्तरी प्रबंध काव्यों में पौराणिक संदर्भ
v प्रसाद की रहस्यवादी दृष्टि : ‘आँसू’ का संदर्भ
v ‘नाच्यौ बहुत गोपाल’ : सृजन एवं समीक्षा का आंचलिक संदर्भ
v श्रीश्री और धूमिल की कविताओं का सामाजिक दृष्टि से विवेचन
v श्रीनरेश मेहता कृत ‘महाप्रस्थान’ : एक विवेचन
1985
v अस्तित्ववादी दृष्टिकोण से ‘नदी के द्वीप’ और ‘चिवरकु मिगिलेदी’ का तुलनात्मक अध्ययन
v हिंदी और तेलुगु में प्रशासनिक शब्दावली : एक तुलना
v हिंदी में प्रगतिवादी काव्य की यथार्थ चेतना
v सूरसागर में देव दमन कृष्ण
v अनुवाद : सिद्धांत एवं व्यवहार का परिप्रेक्ष्य
v ‘अपरा और ‘अमृतं कुरिसिन रात्रि’ का तुलनात्मक अध्ययन
v प्रेमचंद और गोपीचंद के उपन्यासों में सामाजिक चेतना : एक तुलनात्मक अध्ययन
v माखनलाल चतुर्वेदी एवं डॉ.इकबाल की राष्ट्रीय भावना का तुलनात्मक अध्ययन
v डॉ.रांगेय राघव के ऐतिहासिक उपन्यास
v विमल मिश्र के साहित्य में बंगला संस्कृति
v तुलसी काव्य में सामाजिकता
v हिंदी तथा तेलुगु लोकगीतों में नारी
v सर्वेश्वरदयाल सक्सेना : व्यक्तित्व और कृतित्व
1986
v द्वितीय भाषा के रूप में हिंदी अध्ययन में अध्यापकों की समस्याएँ
v तार सप्तक की प्रमुख रचनाओं में प्रयुक्त विश्लेषणों का शैलीतात्विक अध्ययन
v द्वितीय भाषा हिंदी शिक्षण के संदर्भ में हिंदी-तेलुगु सर्वनामों का व्यतिरेकी विश्लेषण
v सत्ती मैया का चोरा : सामाजिक चेतना
v ‘राम की शक्तिपूजा’ : स्रोत और संरचना
v मुक्तिबोध के काव्य में आम आदमी
v हिंदी कहावतों में प्रतिबिंबित समाज
v सूर के कृष्ण : भाषिक संरचना में
v ‘नई कहानी’ में मनुष्य के रूप में बदलते हुए समाज
v ‘मैला आँचल’ और ‘कोल्लायिगट्टितेनेमि’ का समाजशास्त्रीय अध्ययन
v ‘राग दरबारी’ में व्यंग्य
v श्री भगवतीचरण वर्मा के उपन्यास ‘प्रश्न और मरीचिका’ का तात्विक विवेचन
v ‘कामायनी’ का विशेषण शिल्प
v ‘अंधा युग’ : प्रासंगिकता की भाषिक प्रामाणिकता
v भगवतीचरण वर्मा के उपन्यास ‘सबहि नचावन रामगोसाई’ में वर्ग चेतना
v अमृतलाल नागर के जीवनीपरक उपन्यास
1987
v हरिकृष्ण ‘प्रेमी’ के ऐतिहासिक नाटकों में प्रतिबिंबित मुगलकालीन इतिहास
v निर्मल वर्मा का कहानी साहित्य : एक अनुशीलन
v डॉ.रामकुमार वर्मा के सामाजिक एकांकियों का मनोवैज्ञानिक अध्ययन
v सुभद्रा कुमारी चौहान की कहानियाँ : एक अध्ययन
v बीजापुर जिले के लमाणियों के लोक साहित्य का लोकतात्विक अध्ययन
v बीजापुर जिले के बंजारों के लोक गीतों का सांस्कृतिक अध्ययन
v नंददास की रचनाओं में संगीत तत्व
v हरिकृष्ण ‘प्रेमी’ के ऐतिहासिक नाटकों में प्रतिबिंबित राजपूत कालीन इतिहास
v श्री जयशंकर प्रसाद के उपन्यासों की चेतना भूमि
v श्री बालशौरि रेड्डी कृत ‘लकुमा’ (हिंदी) तथा लल्ला देवी कृत ‘लकुमा देवी’ (तेलुगु) उपन्यासों का तुलनात्मक अध्ययन
v सोहनलाल द्विवेदी कृत ‘कुणाल’ : एक समीक्षात्मक अध्ययन
v ‘मांस का दरिया’ : एक अध्ययन
v ‘चौदह फेरे’ : मनोसामाजिक विश्लेषण
v सूर की आँखें : ‘सूरसागर’ में
v हिंदी व्यंग्य : शरादजोशी के संदर्भ में
v मोहन राकेश की कहानियों की मूल्य चेतना
v श्री रवींद्रनाथ त्यागी का निबंध साहित्य : सामाजिक परिवेश और व्यंग्य
v बैंकिंग हिंदी के विकास में अनुवाद की भूमिका
v ‘शिवानी’ के उपन्यासों में नारी भावना
v डॉ.शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ के काव्यों में अंतःस्यूत प्रगतिवादी चेतना
v श्री भगवतीचरण वर्मा की ‘मेरी कविताएँ’ : चेतना एवं शिल्प
v शिवानी के साहित्य में पहाड़ी संस्कृति
1988
v ‘मानस’ की मिथकीय भूमिका
v ‘लकुमा’ (हिंदी) तथा ‘लकुमा देवी’ (तेलुगु) उपन्यासों का तुलनात्मक तात्विक विवेचन
v चलम तथा जैनेंद्र की कहानियाँ
v राजेंद्र यादव की कहानियों में अलगावबोध
v उपेंद्रनाथ अश्क के नाटकों में सामाजिक समस्याएँ
v डॉ.रामदरश मिश्र की कहानियों का विवेचनात्मक अध्ययन
v हिंदी और तेलुगु गीति काव्य (1950 से 1960 तक) : एक तुलनात्मक अध्ययन
v ग्रामीण विकास विभाग में हिंदी
v भगवतीचरण वर्मा के उपन्यास ‘भूले बिसरे चित्र’ में युगबोध
v हिंदी सर्वनामों का समाजभाषावैज्ञानिक अध्ययन
v गिरिराज किशोर कृत ‘तीसरा सत्ता’ उपन्यास का विवेचनात्मक अध्ययन
v आधुनिक काब्य भाषा में जनभाषा चेतना
1991
v ‘दर्शक’ : एक समाज-मनोवैज्ञानिक विश्लेषण
v नौवें दशक की कहानियों में यथार्थ
v हिंदी अकविता और तेलुगु दिगंबर कविता : एक तुलनात्मक अध्ययन
v ‘झीनी झीनी बीनी चदरिया’ का शैलीवैज्ञानिक विश्लेषण
v अज्ञेय की कहानियों में आधुनिकताबोध
v नारायण रेड्डी का ‘विश्वंभरा’ काव्य और उसका हिंदी अनुवाद : एक मूल्यांकन
1992
v ख्वाजा बंदेनवाज़ गेसूदराज का ‘मेराजुल आशकीन’ और उसकी भाषा
v पत्रकारिता में व्यावसायिक प्रयुक्ति का प्रयोग : अनुवाद के संदर्भ में
v इलेक्ट्रॉनिक शब्दावली का हिंदी अनुवाद : मूल्यांकन एवं विश्लेषण
v ‘सत्यार्थ प्रकाश’ का अंग्रेज़ी अनुवाद : एक मूल्यांकन
v बैंकिंग साहित्य का अनुवाद : एक मूल्यांकन
1993
v गोकाक कृत ‘सौंदर्य मीमांसा’ का विवेचनात्मक अध्ययन
v हिंदी और तेलुगु प्रत्यय विधान : व्यतिरेकी विश्लेषण
v भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंध अकादमी में राजभाषा हिंदी
v ‘उर्वशी’ का भाषिक विश्लेषण
v ‘वयंरक्षाम ‘ : पौराणिक एवं सांस्कृतिक तत्वों का स्वरूप
v मालती जोशी के उपन्यासों में नारी का स्वरूप
v उषा प्रियंवदा के उपन्यासों में मध्यवर्गीय नारी मानोविज्ञान
v हिंदी भाषा : प्रयोग और सामाजिक संबंध
v अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान और भाषावैज्ञानिक प्रो.रवींद्रनाथ श्रीवास्तव की हिंदी पुस्तकें : एक विवेचन
1994
v हिंदी पत्रकारिता की व्यावसायिक भाषा
v ‘आपका बंटी’ : पारिवारिक संबंधों का मनोविज्ञान
v डॉ.रामकुमार वर्मा के एकांकियों में व्यंग्य
v ‘खंजन नयन’ : जीवनीपरक विश्लेषण
v ‘दसद्वार’ से ‘सोपान तक’ : शैलीपरक विश्लेषण
v ‘रतीनाथ की चाची’ का यथार्थ
v उग्र की रचनाएँ और उन पर अरबी-फारसी का प्रभाव
v ‘ध्रुव स्वामिनी’ में नारी स्वतंत्र चेतना
v बैंकों में राजभाषा प्रयोग : स्वरूप और विश्लेषण
v निराला के ‘नए पत्ते’ की शैली और शिल्प का विवेचन
v कबीर का आदर्शवाद
v ‘अमिता’ : एक विवेचनात्मक अध्ययन
v राजभाषा हिंदी की सामाजिक भूमिकाओं का विकास
1995
v अकविता के संदर्भ में जगदीश चतुर्वेदी और उनकी कविता
v हिंदी पत्रकारिता की शब्दावली का स्रोतगत विवेचन
v अमृतलाल नागर के उपन्यास ‘सेठ बांकेमल’ का शैलीवैज्ञानिक विश्लेषण
v दूरदर्शन पर प्रसारित हिंदी-अंग्रेज़ी विज्ञापनों का भाषिक विश्लेषण एवं मूल्यांकन
v तुलसीदास तथा रामदास के काव्यों में अभिव्यक्त भक्ति भावना : एक तुलनात्मक अध्ययन
v द्वितीय भाषा हिंदी शिक्षण में तेलुगु छात्रों की त्रुटियों का विश्लेषण
v उषा प्रियंवदा : औपन्यासिक रचना संसार
v प्रेमचंद की कहानियों में बाल चरित्र
v अनुवाद समीक्षा : ‘गोदान’ का अंग्रेज़ी अनुवाद
v भैरव प्रसाद गुप्त के उपन्यासों का मनोविश्लेषणात्मक अध्ययन
1996
v ‘आधा गाँव’ : समाजभाषिक विश्लेषण
v अन्य भाषा शिक्षण की सहायक सामग्री : प्रयोग और उपादेयता
v दूरसंचार विभाग के संदेशों का भाषिक विश्लेषण
v हिंदी-तेलुगु की काव्य संरचना : व्यतिरेकी विश्लेषण
v ‘करवट’ में चित्रित सामाजिक-सांस्कृतिक परिवर्तनों का विश्लेषण
v प्रेमचंद की कहानियों का शिल्प-शैलीपरक अध्ययन
v हरिशंकर परसाई और उनका व्यंग्य : एक विवेचन
v राजभाषा विभाग की प्रशिक्षण सामग्री का विवेचनात्मक अध्ययन
v ‘अपरा’ और ‘कृष्णपक्षम’ में निरूपित सौंदर्यशास्त्रीय पक्षों का तुलनात्मक अध्ययन
v ‘कसप’ में कुमाऊँनी जीवन और भाषा : विवेचनात्मक अध्ययन
v नई कहानी का वस्तुपरक विवेचन
v नई कविता में यथार्थ
v ‘महाभोज’ में राजनैतिक चेतना
1998
v ‘क्रमशः’ की कहानियाँ : प्रकार्यात्मक पाठ विश्लेषण
v राष्ट्रीय भू-भौतिकीय अनुसंधान संस्थान में राजभाषा हिंदी का कार्यान्वयन
v भीष्म साहनी के नाटकों का समीक्षात्मक अध्ययन
v संप्रेषणपरक भाषा शिक्षण : सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक विवेचन
v हिंदी उपन्यास क्षेत्र में ‘चंद्रकांता’ की प्रासंगिकता
v आबिद सुरती के उपन्यास ‘टूटे हुए फरिश्ते’ में कोड मिश्रण एवं कोड परिवर्तन
v केदारनाथ सिंह के काव्य में लोकतत्व
1999
v सुभद्राकुमारी चौहान के काव्य में व्यक्त समाज
v नई कविता में आम जीवन का चित्रण
v ‘गंगामैया’ का शिल्प और भाषागत विवेचन
v ‘मेरी तेरी उसकी बात’ : राजनैतिक स्थिति एवं प्रयुक्ति का संदर्भ
v प्रेमचंद, फणीश्वरनाथ रेणु और शिवप्रसाद सिंह की कहानियों में ग्रामीण यथार्थ
v कमलेश्वर की कहानियों में आम आदमी की संकल्पना
v रमेश बक्षी के नाटकों में नारी चेतना
v ‘वे दिन’ का संदर्भ और आधुनिकताबोध
2000
v भाषावैज्ञानिक अध्ययन में संदर्भ ग्रंथ सूची का उपयोग : एक अवलोकन
v अज्ञेय की कहानियों में मानवीय यथार्थ
v ‘इदन्नमम’ का भाषिक पक्ष : एक विश्लेषण
v ‘भूले बिसरे चित्र’ में व्यक्त सामाजिक परिवर्तनों का विवेचनात्मक अध्ययन
v ‘कन्याशुल्कम’ का हिंदी अनुवाद : समीक्षा
v ‘कागज है पैरहन’ : एक अनुशीलन
v मित्र संवाद : एक अनुशीलन
v सरलीकरण के संदर्भ में हिंदी की प्रशासनिक शब्दावली : एक विवेचन
v मिथिलेश्वर की कहानियों में भाषिक अभिव्यंजना
v वीरेंद्र जैन के उपन्यास ‘पंचनामा’ का भाषिक विश्लेषण
v अज्ञेय के यात्रावृत्तांत : विषय वस्तु का संदर्भ
v अन्य भाषा शिक्षण की विधियाँ
v मोहन राकेश के नाटक : रंगमंचीय संभावनाएँ
v ‘मादा कैक्टस’ का शैलीवैज्ञानिक विश्लेषण
2001
v राजभाषा हिंदी की संप्रेषणीयता : बैंकिंग हिंदी का संदर्भ
v ‘चिवरकु मिगिलेदि’ का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण और अनुवाद समीक्षा
v ‘बलचनमा’ का शैलीवैज्ञानिक विश्लेषण
v हिंदी आत्मकथा : दलित परिदृश्य
v निराला के काव्य में रंग शब्दावली : एक समाजभाषावैज्ञानिक अध्ययन
v ‘बूँद और समुद्र’ उपन्यास में व्यक्ति, समाज और भाषा
v ‘कलिकथा वया बाइपास’ : समीक्षात्मक अध्ययन
v भीष्म साहनी की प्रमुख कहानियों में व्यवस्था का चित्रण
v संत साहित्य की पृष्ठभूमि : तुलनात्मक अध्ययन
v ‘मिट्टी, मनुष्य और आकाश’ का अनुवाद : समीक्षात्मक अध्ययन
v सुरेंद्र वर्मा के नाटक ‘छोटे सैयद बड़े सैयद’ का भाषिक विश्लेषण
v ‘बाणभट्ट की आत्मकथा’ में सांकृतिक चेतना
v ‘सात आसमान’ और आधुनिकताबोध का संदर्भ
v शानी की कहानियों में बिंब, प्रतीक और अप्रस्तुत योजना
2002
v डॉ.लक्ष्मीनारायण लाल के नाटकों में नारी
v ‘आधे अधूरे’ का रंगमंचीय विश्लेषण
v ‘चित्रलेखा’ का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण
v अब्दुल बिस्मिल्लाह के उपन्यास ‘मुखड़ा क्या देखे’ में सामाजिक यथार्थ
v ‘कुरुक्षेत्र’ : अंग्रेज़ी अनुवाद की समीक्षा
v ‘मेरुपुलु मरकलु’ की अनुवाद समीक्षा
v ‘केंचुल’ कहानियों का विश्लेष्णात्मक अध्ययन
v ‘बिस्रामपुर का संत’ : एक अध्ययन
v मंजुल भगत की ‘चर्चित कहानियाँ’ : आधुनिकताबोध
v मिथिलेश्वर की कहानियों में ग्राम जीवन
v ‘पहला राजा’ : मिथक और यथार्थ
v ‘और पसीना बहता रहा’ : उपन्यास में सामाजिक चेतन
v कविता से लंबी कविता में बिंब विधान (विनोद कुमार शुक्ल)
2003
v रवींद्र कालिया कृत ‘गालिक-छुटी शराब’ : संस्मरणात्मक संवेदना के विभिन्न पहलुओं का सामाजिक संदर्भ
v ‘लहरों का राजहंस’ का रंगमंचीय विश्लेषण
v ‘कोमल गंगाधर’ : एक अनुशीलन
v भगवतीचरण वर्मा कृत ‘रेखा’ का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण
v ‘कथा सतीसर’ : सामाजिक यथार्थ
v नई कविता के प्रतिचयित प्रबंध काव्यों में युद्ध की समस्या
v प्रदीप पंत की कहानियों में व्यंग्य
v महेश दर्पण की ‘इक्कीस कहानियाँ’ : समीक्षात्मक अध्ययन
v ‘कालाजल’ : सामाजिक यथार्थ और कथा भाषा
v डॉ.राम अवध शास्त्री के ललित निबंधों का समीक्षात्मक अध्ययन
v निर्मल वर्मा की कहानियाँ : शिल्प एवं शैलीपरक विवेचन
2004
v लीलाधर जगूड़ी के काव्य संकलन ‘भय भी शक्ति देता है’ में चित्रित यथार्थ
v ‘जंगल जहाँ शुरू होता है’ : शिल्पविधि और आंचलिकता का प्रतिफलन
v मैत्रेयी पुष्पा का उपन्यास ‘झूला नट’ : समाज और भाषा
v जया जादवानी के उपन्यास ‘तत्वमासी’ में आधुनिकताबोध
v परिवेश चित्रण की दृष्टि से देवेंद्र उपाध्याय की कहानियों का अनुशीलन
v डॉ.लक्ष्मीनारायण लाल कृत ‘सूर्य मुख’ का समीक्षात्मक अध्ययन
v ‘आषाढ़ का एक दिन’ का रंगमंचीय विश्लेषण
v श्रीलाल शुक्ल कृत ‘मकान’ उपन्यास का विवेचनात्मक अध्ययन
v ‘लपटें’ कहानी संग्रह का तात्विक विश्लेषण
v अंडे के छिलके, अन्य एकांकी तथा बीज नाटक : एक अनुशीलन
2005
v डॉ.रामदरश मिश्र के संस्मरणों एवं यात्रावृत्तों में चित्रित युगीन परिवेश
v शिवमूर्ति कृत ‘तर्पण’ उपन्यास में दलित चेतना
v रामदरश मिश्र के उपन्यासों में चित्रित नारी
v कथाशिल्प प्रेमचंद की कहानियों में स्वतंत्रता आंदोलन
v ‘कहि न जाय का कहिए’ : एक आत्मकथात्मक विश्लेषण
v हिंदी के प्रमुख भक्त कवियों के जीवनीपरक उपन्यास : एक विश्लेषण
v सर्वेश्वरदयाल सक्सेना के नाटकों में व्यंग्य
v हिंदी और तेलुगु प्रशासनिक शब्दावली का तुलनात्मक अध्ययन
v ‘रजनी दिन नित्य चला ही क्या’ : काव्य वस्तु का विवेचन
v ओमप्रकाश वाल्मीकि की कहानियों में दलित चेतना
2006
v निराला की लंबी कविताओं का कथ्य एवं शिल्प
v रंगेय राघव कृत ‘बंदूक और बीन’ में युद्ध की समस्या
v लक्ष्मीनारायण मिश्र के नाटकों में नारी चेतना
v नागार्जुन कृत ‘वरुण के बेटे’ : एक अनुशीलन
v शिवमूर्ति कृत ‘त्रिशूल’ : एक अनुशीलन
v कबीर और नानक की रचनाओं का भाषिक विश्लेषण
v गोविंद मिश्र कृत ‘हुजूर दरबार’ में चित्रित सामंतवाद
v नासिरा शर्मा की कहानियों में बदलते जीवन मूल्य
v गोविंद मिश्र के ‘लाल पीली ज़मीन’ में चित्रित परिवेश
v मैत्रेयी पुष्पा की ‘कस्तूरी कुंडल बसै’ : आत्मकथात्मक विश्लेषण
v हिंदी के प्रमुख कवियों के जीवनीपरक उपन्यास : एक अनुशीलन
v ‘टुकड़े-टुकड़े दास्तान’ : आत्मकथात्मक विश्लेषण
v मैत्रेयी पुष्पा कृत ‘चिह्नार’ में चित्रित सामाजिक समस्याएँ
v महादेवी वर्मा के निबंध संग्रह ‘शृंखला की कड़ियाँ’ में स्त्री
v ‘पुनर्नवा’ में साँस्कृतिक चेतना
v डॉ.वृंदावनलाल वर्मा के ऐतिहासिक उपन्यासों में चित्रित नारी
v रमेशचंद्र शाह की ‘चर्चित कहानियाँ’ : सामाजिक यथार्थ
v ओमप्रकाश वाल्मीकि की कविताओं में दलित चेतना (‘सदियों का संताप और बरस! बहुत हो चुका’ का विशेष संदर्भ)
v रांगेय राघव के जीवनीपरक उपन्यास : एक अनुशीलन (‘धूनी का धुआँ’ और ‘लखिमा की आँखें’ के विशेष संदर्भ में)
v मन्नू भंडारी की कहानियों में आधुनिकताबोध (‘मैं हार गई और तीन निगाहों की एक तस्वीर’ के विशेष संदर्भ में)
v नरेंद्र कोहली के ‘आतंक’ में मिथक की सामाजिक भूमिका
v ‘वरुण के बेटे’ तथा ‘सागर, लहरें और मनुष्य’ में आंचलिकता : तुलनात्मक अध्ययन
2007
v धर्मवीर भारती के ‘यात्रा चक्र’ में युद्ध विषयक चिंतन
v दूधनाथ सिंह के उपन्यास ‘आख़िरी कलाम’ में समाज
v विवेकीराय कृत ‘चली फागुनहट बौरे आम’ : लोकतत्व
v सहयोगी उपन्यास : कथ्य एवं शिल्प
v निमल वर्मा के निबंधों में संस्कृति
v महीप सिंह की ‘चर्चित कहानियाँ’ : आधुनिकताबोध
v जयनंदन कृत ‘कस्तूरी पहचानो, वत्स’ : शैलीवैज्ञानिक अध्ययन
v सूरजपाल चौहान की आत्मकथा ‘तिरस्कृत’ : दलित चेतना और भाषा
v पत्रकार रघुवीर सहाय : भाषा चिंतन
v हास्य-व्यंग्य का विधागत वैशिष्ट्य (श्रीलाल शुक्ल संपादित ‘हिंदी हास्य-व्यंग्य संकलन’ के विशेष संदर्भ में)
v राकेश वत्स कृत ‘मेरी खास कहानियाँ’ : सामाजिक यथार्थ
v ‘अल्मा कबूतरी’ में सामाजिक यथार्थ
2008
v ममता कालिया के लघु उपन्यासों में स्त्री विमर्श
v प्रणव कुमार वन्द्योपाध्याय की कहानियों का सामाजिक यथार्थ
v असगर वजाहत के कहानी संग्रह ‘मैं हिंदू हूँ’ में सामाजिक चेतना
v काशीनाथ सिंह के संस्मरण ‘घर का जोगी जोगड़ा’ का अनुशीलन
v जगदीशचंद्र कृत उपन्यास ‘नरककुंड में वास’ में यथार्थ चित्रण
v महादेवी वर्मा के संस्मरणों में ममता की अभिव्यक्ति
v आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के निबंधो में लेखकीय व्यक्तित्व और वैचारिकता
v रामधारी सिंह दिवाकर के उपन्यास ‘आग-पानी-आकाश’ में सामाजिक चेतना
v रामदरश मिश्र की कहानियों में ग्राम चेतना
v पुष्पा बंसल का कथा-काव्य ‘प्रतिवाद-पर्व’ : स्त्री विमर्श
v कमलेश्वर के नाटक : ‘हिन्दोस्ताँ हमारा’ में स्वाधीनता संघर्ष के विविध संदर्भ
v श्रीलाल शुक्ल के उपन्यास ‘राग दरबारी’ में राजनैतिक चेतना
v संजीव के उपन्यास ‘सूत्रधार’ का लोकतात्विक अध्ययन
v अलका सरावगी के कहानी संग्रह ‘दूसरी कहानी’ में सामाजिक समस्याएँ
v निर्मल वर्मा का उपन्यास ‘अंतिम अरण्य’ : वृद्धावस्था का संदर्भ
v राजेंद्र अवस्थी की कहानियों में आधुनिकताबोध (विवेच्य संग्रह : चर्चित कहानियाँ)
v अमरकांत के उपन्यास ‘सूखा पत्ता’ में आधुनिकताबोध
2009
v शैलेश मटियानी की कहानियों में आंचलिकता
v ‘गोदान’ में चित्रित नगरीय जीवन
v मराठी नाटक ‘आखेरचा सवाल’ का हिंदी अनुवाद
v रामदरश मिश्र के उपन्यास ‘जल टूटता हुआ’ में आंचलिकता
v मोहनदास नैमिशराय के उपन्यास ‘मुक्तिपर्व’ में दलित चेतना
v हरिशंकर परसाई के निबंधों में लेखकीय व्यक्तित्व और वैचारिकता (‘निबंधों की दुनिया’ का विशेष संदर्भ)
v समसामयिक टी.वी. विज्ञापनों का प्रयुक्तिपरक वैशिष्ट्य
v प्रभा खेतान की आत्मकथा ‘अन्या से अनन्या’ : स्त्री जीवन की विविध स्थितियाँ
2010
v गोविंद मिश्र के उपन्यास ‘धूल पौधों’ पर में सामाजिक यथार्थ
v डॉ.ज्ञानसिंह मान के उपन्यास ‘सूना अंबर’ का मनोविश्लेषणात्मक अध्ययन
v श्यौराज सिंह बेचैन की आत्मकथा ‘मेरे बचपन मेरे कंधों पर’ में दलित चेतना
v चित्रा मुद्गल की कहानियों में मध्यवर्ग
v उच्च शिक्षा और शोध संस्थान (हैदराबाद केंद्र) में संपन्न लोकतात्विक शोधकार्य
v दलित विमर्श और ‘नाच्यौ बहुत गोपाल’
v भगवानदास मोरवाल के उपन्यास ‘रेत’ का लोकतात्विक अध्ययन
v भगवतीशरण मिश्र के उपन्यास ‘लक्ष्मण रेखा’ में समकालीन बोध
v वीरेंद्र जैन के कहानी संग्रह ‘भार्या’ में समाज
v विद्यासागर नौटियाल की कहानियों का समाजशास्त्रीय अध्ययन
v ‘अपने अपने राम’ में मिथक और कल्पना
v चंद्रकांता के उपन्यास ‘अपने अपने कोणार्क’ में आधुनिकताबोध
2011
v अनामिका के उपन्यास ‘तिनके तिनके पास’ में स्त्री विमर्श
v ममता कालिया के खंडकाव्य ‘कितने प्रश्न करूँ’ में मिथक, परंपरा और आधुनिकता
v संजय कुंदन के कहानी संग्रह ‘बॉस की पार्टी’ में व्यंग्य
v एन.गोपि कृत तेलुगु काव्य ‘कालान्नि निद्रपोनिव्वनू’ का हिंदी अनुवाद : तुलनात्मक अध्ययन
v माधवीकुट्टी के मलयालम उपन्यास ‘वंडीक्कालकल’ का हिंदी अनुवाद
v दिनकर की वैचारिकता : निबंधों का विशेष संदर्भ (हमारी सांस्कृतिक एकता, रेती के फूल, अर्धनारीश्वर)
v ‘देवरानी जेठानी की कहानी’ और ‘परिक्षा गुरु’ में आधुनिकताबोध का तुलनात्मक अध्ययन
v जाया जादवानी के कहानी संग्रह ‘उससे पूछो’ में यथार्थ
v राजकमल चौधरी के कहानी संग्रह ‘पत्थर के नीचे दबे हुए हाथ’ में स्त्री विमर्श
v भगवानदास मोरवाल कृत ‘काला पहाड़’ में सामाजिक चेतना
v चंद्रकिरण सौनरेक्सा की आत्मकथा ‘पिंजरे की मैना’ में स्त्री विमर्श
v नासिरा शर्मा के कहानी संग्रह ‘खुदा की वापसी’ में स्त्री विमर्श
v विजय तेंडुलकर के उपन्यास ‘कादंबरी-दो’ मैं राजनैतिक चेतना
v सतीश दुबे कृत ‘समकालीन सौ लघुकथाएँ’ में आम आदमी
v धर्मवीर भारती कृत ‘अंधा युग’ का सौंदर्यशास्त्रीय विश्लेषण
v काशीनाथ सिंह के उपन्यास ‘रेहन पर रग्घू’ में भूमंडलीकरण का संदर्भ
v प्रेमचंद का उपन्यास ‘मनोरमा’ : समाज और भाषा
v भगवान सिंह के उपन्यास ‘उन्माद’ में सामाजिक चेतना
v सच्चिदानंद चतुर्वेदी के उपन्यास ‘अधबुनी रस्सी : एक परिकथा’ में लोकतत्व
v केदारनाथ सिंह की कविता में मूल्यबोध (‘अकाल में सारस’, ‘उत्तर कबीर’ तथा ‘बाघ’ का विशेष संदर्भ)
2012
v ‘राग दरबारी’ में शिक्षा जगत का यथार्थ
v चंद्रकांता के उपन्यास ‘यहाँ वितस्ता बहती है’ का शैलीवैज्ञानिक अध्ययन
v हबीब तनवीर के नाटक ‘आगरा बाजार’ में वस्तु, शिल्प
v निराला के निबंधों की वैचारिकता (आधार ग्रंथ – ‘निबंधों की दुनिया’ : निराला)
v पंकज सुबीर के कहानी संग्रह ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ में परिवेश चित्रण
v सुशीला टाकभौरे की आत्मकथा ‘शिकंजे का दर्द’ में दलित स्त्री का जीवन संघर्ष
v प्रभा खेतान के उपन्यासों ‘छिन्नमस्ता’ और ‘पीली आँधी’ में स्त्री विमर्श
v नागार्जुन के निबंध साहित्य का समाजशास्त्रीय अध्ययन
v पुनर्जागरण के संदर्भ में बालकृष्ण भट्ट कृत ‘निबंधों की दुनिया’ का अनुशीलन
v नीलम राकेश की कहानियों में स्त्री विमर्श
v आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी के पत्रों का विश्लेष्णात्मक अनुशीलन
v नीलम कुलश्रेष्ठ का स्त्री विमर्श : ‘हैवनली हेल’ का विशेष संदर्भ
v तुलसी कृत ‘रामचरितमानस’ में सामाजिक चेतना
v हिंदी ब्लॉगिंग में महिला ब्लॉगरों का योगदान
2013
v दलित कहानियों में चित्रित सामाजिक यथार्थ (‘नई सदी की पहचान – श्रेष्ठ दलित कहानियाँ’)
v हीरालाल बाछोतिया का काव्य ‘विद्रोहिणी शबरी’ : नए विमर्शों का संदर्भ
v कुसुम खेमानी कृत ‘सच कहती कहानियाँ’ में भाषा मिश्रण और भाषा परिवर्तन
v माता प्रसाद की आत्मकथा ‘झोपड़ी से राजभवन’ में दलित विमर्श
v ममता कालिया कृत ‘कितने शहरों में कितनी बार’ में चित्रित परिवेश
v भीष्म साहनी के साक्षात्कारों में लेखकीय व्यक्तित्व और वैचारिकता
v विजय के उपन्यास ‘मुहाफिज’ में सामाजिक यथार्थ
v राजकुमार गौतम कृत ‘कब्र तथा अन्य कहानियाँ’ में जीवन मूल्य
v पुरुषोत्तमदास अग्रवाल की आलोचना कृति ‘अकथ कहानी प्रेम की’ : वैचारिकता
v ज्ञान चतुर्वेदी के उपन्यास ‘बारामासी’ में व्यंग्य
v महेंद्र भटनागर के कविता संग्रह ‘सरोकार और सृजन’ में सामाजिक यथार्थ
v रामदरश मिश्र के उपन्यास ‘दूसरा घर’ में यथार्थ
v विष्णु प्रभाकर कृत उपन्यास ‘अर्द्धनारीश्वर’ में स्त्री विमर्श
v के.एस.तूफ़ान का दलित विमर्श : ‘टूटते संवाद’ के विशेष संदर्भ में
v मधुकर सिंह के उपन्यास ‘बाजत अनहद ढोल’ में आदिवासी विमर्श
v मनोज सिंह के उपन्यास ‘कशमकश’ में स्त्री विमर्श
v रमेशचंद्र शाह की कहानियों में यथार्थ
v विवेकानंद के कहानी संग्रह ‘गुंजन शर्मा बीमार है’ का समाजशास्त्रीय अध्ययन
v चित्रा मुद्गल के उपन्यास ‘गिलिगडु’ में वृद्धावस्था विमर्श
v विवेकी राय के उपन्यास ‘नमामि ग्रामम’ में ग्राम जीवन
v कमल कुमार कृत ‘हैमबरगर’ में स्त्री विमर्श
v प्रमोद कुमार तिवारी का उपन्यास ‘डर हमारी जेबों में’ : समकालीन यथार्थ
v ‘दोना पावला और तीन औरतें’ में परिवेश चित्रण
v नीलाक्षी सिंह का कहानी संग्रह ‘परिंदे से इंतज़ार-सा कुछ’ : सामाजिक यथार्थ और कथा भाषा